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तनिक इधर भी वेलेंटाइन डे पर ध्यान दो

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इस #वेलेंटाइन डे  💕  पर तनिक इधर भी "#Theory of #love" 💜💓💚 और #कोया पुनेम  कोया पुनेम  में  प्यार  की  परिभाषा  बहुत  विस्तृत  होती है. . . . .  आदिवासी  समुदाय  का मुख्य  फोकस  प्यार 💕  है. . प्रकृति  को प्यार! जीव जंतुओं को, पेड़ पौधों को  प्यार!  . अपने  माता-पिता को  प्यार,  सगा जनों को  प्यार ,मानवता को  प्यार  . . . प्यार  💕 #विश्वास  से पनपता है   जिसको  मूल आधार निस्वार्थ  "#सेवा " प्रदान  करता है. . . . इसलिए  कोयतोरियन्स  "जय सेवा " को  अपना मूल मंत्र  मानते हैं. . . .  आदिवासी  समुदायों में प्यार   "एकजुटता " उत्पन्न  करती है. . .  जबकि  दुसरे  समुदायों में  "प्यार 💕 " अक्सर  अराजकता  व #व्यक्तिवाद  को बढ़ावा  देने  लगती है. . . प्रेम को उत्प्रेरित  करने में कुछ #रसायनिक उत्प्रेरको  का भी हाथ  होता है. .  . आदिवासीयो ने इन उत्प्रेरको  को सतत्  विकसित  करने  की तकनीकी  बखूबी  विकसित  कर ली है. . जिसे  कोयतोरिन टेक्नोलॉजी  कहते हैं  . .  प्यार  💕 को सीमाओं  में  नहीं  जकड़ा जा सकता  है  . .  बल्कि  इसे निश्चित

आओ भारत को गौरवान्वित करें- एम.आर.तेकाम

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आओ मिलकर करें प्रबुद्ध भारत का निर्माण शिक्षा ही एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो समाज को नई दिशा की ओर ले जाने का माध्यम है , हमारी कोयतुर समाज को अच्छी शिक्षा की व्यवस्था के लिए हमें छोटे-छोटे प्रयाशों की ओर ध्यान देना होगा।  हम ऐसा प्रयास करें कि स्वयं समाज के सशक्त भविष्य के निर्माण में सब मिलकर नई ऊर्जा के साथ एक नई दिशा देने का कार्य करें। *इंस्टीट्यूट ऑफ़ कोयान दा विज़न*  के माध्यम से आदिम समुदाय के बच्चों के बेहतर शिक्षा देने का प्रयास किया जा रहा है । ओर उसे ज्यादा बेहतर करने के लिए हमें अन्य क्षेत्रों में छोटे-छोटे गोटूल जैसी व्यवस्था का निर्माण करना होगा । इसी तरह के छोटे-छोटे प्रयास से हम यह कल्पना करते है कि इस तरह प्रयास किया जाए तो समाज को एक नई दिशा दे सकेंगे। जैसे कि सब मिलकर छोटे- छोटे संस्था का निर्माण का प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था बनाकर समाज मे नई शिक्षा व्यवस्था की कल्पना कर सकेंगे। आइये कोयान दा विज़न को सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक, रूप से सहयोग करें। ✍ एम.आर.तेकाम

कोयान द विज़न पर विशेष आपका ध्यानाकर्षण चाहूंगा- विवेंद्र शाह मर्सर्कोले सिवनी

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कोयान द विज़न पहल एक विशेष-  कोयान द विज़न पहल एक विशेष-  मैं विवेंद्र शाह मर्सकोले छात्र पूर्व प्रभारी सिवनी कोयान द विज़न कार्यालय मैंने महसूस किया है कि कोयान द विज़न जैसी संस्था प्रत्येक क्षेत्रों में होनी चाहिए यह संस्था गहराई के साथ आम लोगों के जीवन स्तर को सुधारने का प्रयास का माध्यम हो सकती है! संस्था के उद्देश्य संस्था के संचालक मंडल एवं सदस्यों को मैंने करीब से देखा है एवं जाना है जब इस संस्था के पास कुछ भी नहीं था तब मैं वहां शुरुआती घर से संस्था के सदस्यों के साथ था संस्था के संस्थापकों की सोच से मैं पूरी तरह परिचित हूं यह संस्था जनजाति छात्राओं को पूर्ण विकास की संकल्पना करती है !! koyanthevision750@gmail.com हमने केवलारी ब्लाक , सिवनी में इसकी शाखा खोलकर छोटी सी शुरुआत की है, आप भी इस संस्था को बड़े पैमाने पर पहचान देने के लिए अपने क्षेत्र में इसकी ब्रांच लेकर हम इस इंस्टिट्यूट को समाज का एक मजबूत इंस्टिट्यूट बना सकते हैं इस तरह के संसाधनों का होना किसी भी समाज के विकास के लिए अनिवार्य शर्त है!  आधुनिकीकरण युग के साथ हमें सं

समाज क्या है!!

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समाज क्या हैं समाज की परिभाषा और विशेषताएं समाज   मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के बिना मनुष्य के जीवन का कोई महत्व नहीं है। व्यक्ति जो कुछ भी बनना चाहता है वह समाज के वातावरण में ही बन सकता है। दरअसल, समाज एक प्राकृतिक संस्था है, जिस पर व्यक्ति का अस्तित्व और विकास निर्भर करता है। यदि यह कहा जाए कि समाज मानव जाति की सुरक्षा और विकास का मूल आधार है तो इसमें कोई अतिकथनी नहीं होगी। मानव जाति में सर्वश्रेष्ठ संस्था की परिभाषाओं और विशेषताओं का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है:- समाज क्या है परिभाषा और विशेषताएं समाज की परिभाषा और विशेषताएं:- आम तौर पर, सामाजिक शब्द का उपयोग ठीक से नहीं किया जाता है। कई बार हम किसे समुदाय या संघ के लिए समाज शब्द का उपयोग करने में संकोच नहीं करता है, उदाहरण के लिए, भारतीय युवा समाज, आर्य समाज, साधु समाज आदि। वास्तव में यह सभी समुदाय हैं और इनके साथ सामज शब्द का उपयोग करना गलत है, समाज एक बहुत बड़ा संगठन है जिसमें प्रत्येक समुदाय, संघ और संप्रदाय आते हैं। समाज की परिभाषा - समाज की परिभाषा को विभिन्न लेखकों द्वारा उनकी विचारधारा के अनु

आपके लिए विशेष आमंत्रण देखें कोयान न्यूज़

चलो चले इंस्टीट्यूट ऑफ कोयान द विज़न सिवनी वार्षिक समारोह 07 जनवरी 2020 आपको हर्ष के साथ सूचित किया जाता है कि जिला मुख्यालय सिवनी में " इंस्टीट्यूट ऑफ कोयान द विज़न " गोंडी भाषा संस्कृति संरक्षण एवं स्वालंबन नेतृत्व क्षमता परिवर्धन  तथा शैक्षणिक, प्रशासनिक सेवाओं की प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी हेतु विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है। आप सामाजिक, शैक्षणिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक, हक, अधिकार की गतिविधियों को स्वयं व आपके संगठन के माध्यम से बढ़ा रहे हैं, आपसे आग्रह किया जाता है कि इस हेतु"इंस्टीट्यूट ऑफ कोयान द विज़न " भी प्रतिबद्ध होकर कार्य कर रहा है। आप अपने बच्चों के साथ स्वयं व संगठन को भी गोंडी भाषा को सीखने व जोड़ने एवं बचाने के लिए सभी को आमंत्रित करते है। यह कार्यक्रम आपके सामाजिक सम्प्रेषण की भावना जागृत हेतु आपसे इसके प्रचार- प्रसार की भी आशा करते है। ताकि हम समाज की मूल पहचान को कायम करने में सफल हो सकें।       सम्मानीय सगाजनों आपको सूचित किया जाता है इंस्टीट्यूट ऑफ कोयान द विज़न निरंतर अपनी सेवाएँ समाज के उत्थान के लिए प्रदान कर रहा है। जिसका

पाँचवी अनुसूची क्षेत्र

#बैलाडीला_उलगुलान  संवैधानिक उपबंधो के आधार पर पांचवी अनुसूची क्षेत्रों में आदिवासीयों की भाषा,संस्‍कृति ,आस्‍था तथा उनके संरक्षण को ध्‍यान मे रखते हुए चाहे..भुपेशसरकार,मोदीसरकार एवं NMDC उपक्रम तथा तमाम अडानी जैसे कार्पोरेट आदि का प्रवेश वर्जित है ।                                              समता बनाम राज्‍य आंध्रप्रदेश                                  फैसला                       11जुलाई1997     पैराग्राफ में लिखित Contract / करार संधि का मतलब- .) सुप्रीम कोर्ट के समता जजमेंट 1997 के अनुसार वर्तमान की पांचवी अनुसूची और छठी अनुसूची( जो कि इंडियन स्टेट्स और ट्राइबल एरिया के अंदर backward area and backward tribe कहे गए)ब्रिटिश भारत के अधीन नहीं थी, जिस वजह से भारत के राजनेताओं के अधीन सिर्फ ब्रिटिश भारत अर्थार्त संविधान का अनुछेद 1 की शासन अधिकारिता आई। समता जजमेंट के अनुसार           In addition to this excluded and partially excluded areas, there were in the territory of India certain" tribal areas", which were defined in the Government of India A

कुदरत को समझो

देश के आर्थिक स्थति के साथ साथ तेज गर्मी के कारण व हवाई यात्रा से दिनों दिन मृतकों की संख्या में वृद्धि दर बढ़ते ही जा रही हैं।। अब देश बदलने की तैयारी में बढ़ते ही जा रहा है। प्रकृति अपनी मूल - भौतिक स्थति की ओर अग्रसर है। अब आदिम समुदाय को जो प्रकृति के नियमों से अनभिज्ञ हैं। उन्हें समय रहते प्रकृति के नियमों को समझने की जरूरत है। अपनी मूल जीवनी प्राकृतिक व्यवस्था में जल्द लौट आओ।। और प्रकृति के नियमों का पालन करते हुए। उनके अनुसार जीवन यापन जीना शुरू कर दो। हो सकता है। कुदरत रहम कर दे। और किए गए कार्य प्रकृति के विरूद्ध से माफ कर दे। कुदरत दिनों दिन परिवर्तन की दिशा में तेज से बढ़ती जा रही है।। जल्द 92% मानवों को कुदरत जड़ से उखाड़ फेंकने की ओर अग्रसर है। मानव द्वारा निर्मित कानून कोई भी इंसान तोड़ सकते हैं। ओर तोड़ भी रहे है।। प्रकृति द्वारा निर्मित कानून किसी ने तोड़ा नहीं। और कोई तोड़ भी नहीं सकता।। जितना मानव स्वार्थी बना है। जितना कुदरत को नुकसान पहुंचा रखा है। उनसे लाखो गुना  नुक्सान इन कुरुर मानवों को अब भुगतना पड़ेगा।। 🌴🌳🌾🌞🌎⭐💫💥☄🔥💧