धुर्वे मनीषा जी से आकस्मिक मुलाकात की दास्तान- रावेनशाह
संघर्षरत कहानी है धुर्वे मनीषा की जानने के पूरा लेख पढ़े - आकस्मिक मुलाकात की दास्तान आज हम होशंगाबाद जिले के इटारसी में है हमारे रूट चार्ट में छिंदवाड़ा से हरदा पहुँचना है, लेकिन सामाजिक उसूल और सामाजिक सोच समाज के कर्तव्यों के करीब ले ही जाती है ऐसा कुछ घटित हमारे साथ हुआ कि अचानक हमारे मित्र अरविंद धुर्वे ने सेल फोन के माध्यम से धुर्वे मनीषा से परिचय करवा दी और उन्होंने हमें रेलवे स्टेशन से अपने घर तक बुला ही लिया तो यह हमारी पहली मुलाकात बनी और इसी दरमियान हमारी उनके रेलवे कालोनी के घर पर नोंकझोक चर्चा शुरू हुई ! जब हम उनसे परिवार के कौशल व सलामत की चाह की बात करते हैं तो इसी दौरान मनीषा ने हमसे खुलकर बात की तो उन्होंने अपने संघर्षमय जीवन की दास्तान हमारे साथ चर्चा में रखी यह सब जानने के बाद लगा कि मनीषा एक जुझारू कर्मठ और समाज की जिम्मेदारियों के प्रति समर्पण व्यक्तित्व की अभिलाषा है मनीषा से चर्चा में हमने यह भी जाना कि मनीषा कह रहीं हैं वो आदिवासियों के संदर्भ मे बहुत कुछ करना चाहती है और एक ट्रस्ट के माध्यम से अनेक राज्यों के जनजाति क्षेत्रों में भ्रमण करके जनजातियों के हालात