कुदरत को समझो

देश के आर्थिक स्थति के साथ साथ तेज गर्मी के कारण व हवाई यात्रा से दिनों दिन मृतकों की संख्या में वृद्धि दर बढ़ते ही जा रही हैं।।
अब देश बदलने की तैयारी में बढ़ते ही जा रहा है।
प्रकृति अपनी मूल - भौतिक स्थति की ओर अग्रसर है।
अब आदिम समुदाय को जो प्रकृति के नियमों से अनभिज्ञ हैं। उन्हें समय रहते प्रकृति के नियमों को समझने की जरूरत है।

अपनी मूल जीवनी प्राकृतिक व्यवस्था में जल्द लौट आओ।।
और प्रकृति के नियमों का पालन करते हुए।
उनके अनुसार जीवन यापन जीना शुरू कर दो।
हो सकता है। कुदरत रहम कर दे।
और किए गए कार्य प्रकृति के विरूद्ध से माफ कर दे।

कुदरत दिनों दिन परिवर्तन की दिशा में तेज से बढ़ती जा रही है।।
जल्द 92% मानवों को कुदरत जड़ से उखाड़ फेंकने की ओर अग्रसर है।

मानव द्वारा निर्मित कानून कोई भी इंसान तोड़ सकते हैं। ओर तोड़ भी रहे है।।
प्रकृति द्वारा निर्मित कानून किसी ने तोड़ा नहीं। और कोई तोड़ भी नहीं सकता।।

जितना मानव स्वार्थी बना है। जितना कुदरत को नुकसान पहुंचा रखा है। उनसे लाखो गुना  नुक्सान इन कुरुर मानवों को अब भुगतना पड़ेगा।।
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