युवाओं पर मार्गदर्शन
आज के युवाओं की सोच.... एक बार समय निकल कर जरूर पढे.... आज का युवा वर्ग समस्याओं के भँवर में डुबता चला जा रहा हैं। वह कल्पना भी छोटी करता हैं ,उसकी सोच भी छोटी है,स्वप्न में उसकी दुनिया छोटी होती है । अपनी जिंदगी का महत्व नही पता है, पुरुषार्थ, महत्वाकांक्षा जैसे शब्दों का अर्थ उसे पता नही है। देश की गौरवशाली परम्परा, संस्कार, संस्कृति और इतिहास उसके अध्ययन और समझ शक्ति से परे हो चले हैं। आज के औसतन युवा वर्ग की सोच में एक ही बात हैं- एक अच्छी नौकरी , एक घर और उसमे मनपसंद जीवनसाथी, बस । और एक गाड़ी घुमने के लिए । बस आज उसे इससे ज्यादा कुछ नही चाहिए इतने में ही वह अपनी जिंदगी को सिमट कर रख दिया है। वह रोचक ,उदासीन और दर्दभरी है। उनके पास खालीपन है, अधूरे है, गुमराह और उदासीन हो नीरस हो चले हैं। इन्हें अपने भीतर विधमान आत्मवल, मनोवल या संकल्प शक्ति का भाव ही नही, वो टूटकर बिखर रहे है ।परिस्थितियां उन्हें गहन अंधेरे में धकेल रही है ।बड़ी-बड़ी बाते उनकी व्यवहारिक कठिनाइयों का समाधान नही दे पा रही है। वो बहुत अकेले, अधीर होकर अपना मनोबल गिराते जा रहे हैं। उन्हें कोई सुनने और समझने वाला भी न