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Showing posts from March, 2018

मुझे पहचानने में आसानी होगी।

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Positive thinking अच्छे ने अच्छा और, बुरे ने बुरा जाना मुझे। क्योंकि जिसकी जीतनी जरुरत थी, उसने उतना ही पहचाना मुझे।। Exited filing https://www.instagram.com/p/BgjagfUBjaPhaBHhjCWrv3WPIKTEgSebpEdMxU0/?r=wa1 AN INSTITUTE OF KOYAN THE VISION SEONI (MP) http://www.koyanthevision.online

गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन (रावेनशाह उईके)

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गोंडवाना आंदोलन नेतृत्व क्षमता की कमी से बहुत बुरी तरह गुजर रहा है जो लोग नेतृत्व कर रहे हैं उनमें सामूहिक विसंगतियों की मार पड रही है? सेवाजोहार की दृष्टिकोण से भी गोन्डवाना आंदोलन विफल रहा है अहंकार नेतृत्व से गोंडवाना का अधिक समय से दोहन होते आ रहा है दूरगामी सोच से गोंडवाना आंदोलन बहुत दूर है। सफलता के लिए नैतिकता के आधार पर शुद्धता खड़ी करनी होगी इसके लिए हमें वैज्ञानिक वैचारिक मंच की आवश्यकता को समझनी चाहिए ? सेवाजोहार गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन https://www.koyanthevission.online

रावेनशाह उईके एक सामाजिक योद्धा प्रशासन पर पड़ रहे महंगे

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उलगुलान उलगुलान उलगुलान ⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔ जल जंगल जमीन का संघर्ष जारी है और जारी रहेगा​​​​ ⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔⚔ मध्यप्रदेश के सिवनी जिला   आंशिक वर्जित क्षेत्र छपारा से रावेन शाह उईके क...

जरा सोचो देश मे क्या चल रहा है?

विचारणीय प्रश्न? *✅ जो लोग मानते हो की आरक्षण की वजह से ही देश बर्बाद हुआ है, तो फिर यह पोस्ट सिर्फ उनके लिए ही है....जरूर पढ़ें!* ✅✅✅✅✅✅✅✅✅ *"लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार भी तुम्हारा...

जानना बहुत जरूरी है

*अनुसूचित क्षेत्रों को खत्म करने का रास्ता है पैसा एक्ट* आदिवासियों के हक व अधिकार की लड़ाई जारी है और जारी रहेगी। जल जंगल जमीन का संघर्ष का इतिहास बहुत पुराना है जिस जल जंगल ...

भीड़ का महत्व

''भीड़'' ना मै भीड़ हूँ ना ही मै भीड़ का हिस्सा  हूँ मै तो भीड़  की खोज मे हूँ वो भीड़ जो दृष्टिकोण  के बदलाव से संघठन बने। भीड़ का नाम ही् प्रजा है भीड़ के आगे सजा है वो भीड़ जो पुलिस भीड़ देख कर ना भागे ॥ हम अभी भेड़ के भीड़ में है ना दिशा  है ना ही मंजिल  है विषय है तो जानकर पीछे  है यह वही  भीड़ है जो महापुरूषों के साथ हैॅ जो डर के आगे लाचार और गुम हो जाती  है कभी  बच्चों  का डर तो कभी नोकरी जाने का डर संविधान  बचाने के लिऐ तो कभी कभी  संविधान  का डर भीड़ चलाने में धन का अभाव कुशल नेतृत्व  की कमी तो भीड़ में आपसी  फूट की भरमार खीच रहे टांग अपनों की मु्‌र्दों की इसी भीड़ में ॥ भीड़ मे दौड कर आगे है कुछ लोग  भीड़ तोडकर आगे है। तो कुछ  भीड़ जोड़कर आगे है ये सिलसिला यूँ  ही चलता  रहेगा ॥ भीड़ को जोड़ कर भीड़ तोडकर दोडकर हम सब आगे बढते रहेगे मगर भीड मे वो मजदूर लाचार असहाय गरीबी  के बोज तले दबे हुये है कहता है मुझे  भीड़ बनाकर ले जाते है । ...

जागरूक व्यक्ति के आवश्यक गुण

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* वैज्ञानिक तर्क-वितर्क ही सफल जीवन का मूल आधार हैं ! पढा-लिखा होना और जागृत होना दोनो में अंतर है । किताबों को पढ लेने से, या डिग्रियां हासिल कर लेने से कोई जागृत नहीं कहा जा सकता। हर शिक्षित व्यक्ति जागृत ही हो ऐसा नहीं है। * जागृति का प्रथम सिद्धांत है:- अपने दोस्त की पहचान होना । *जागृति का दूसरा सिद्धांत है:- अपने दुश्मन की पहचान होना । *जागृति का तीसरा सिद्धांत है:- अपनी ताकत और कमजोरी मालूम होना । * जागृति का चौथा सिद्धांत है:- दुश्मन की ताकत और कमजोरी मालूम होना। *जागृति का पांचवां सिद्धांत है:- अपने महापुरुषों का इतिहास मालूम होना । यह पांच बातें अगर आपको मालूम है,और आप अनपढ़ भी हो, फिर भी आप जागृत कहे जा सकते हो । अगर आप को ये पांच बातें नहीं मालूम है, और आप शिक्षित भी हो, फिर भी आप जागृत नहीं हो | ®आप डॉक्टर, वकील इंजिनियर, प्रोफेसर, IPS, lAS, हो सकते हो ।_ मगर आप जागृत नहीं कहे जा सकते । * शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक जागृति बहुत जरूरी है, समाज उत्थान के लिये । * हमारे पढे लिखे अधिकारी, कर्मचारी, PhD holder, उच्च शिक्षा...

रावेनशाह के सामाजिक विचार.......

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प्राकृतिक संरचना पर जीवित है कोयावंशियों का सामाजिक संविधान - रावेनशाह उईके _एक महान गोटुल के प्राकृतिक गुणों पर आधारित पारम्परिक व्यवस्था जो नैतिक व व्यवहार परख ही नही बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी सत्य की कसौटी पर खरा उतरती है, ऐसी व्यवस्था जो किसी भी अवस्था मे सत्य की खोज पर निर्भर करती है वह पारम्परिक ग्राम(नार) व्यवस्था ही है! कोयतुड सगा बिडार इसी व्यवस्था से ही क्यों आधुनिकता पर क्यों नहीं आते इसीलिए कि प्राकृतिक संसाधनों व प्रकृति के प्रति वो प्रेम रखते हैं! प्रकृति व निसर्ग की वस्तु व चिकित्सा को वो अपनाते है उसके साथ सुरक्षित पाते है प्रकृति जीवनभर साथ ही नही बल्कि जीवन देती है और वह प्रेम करती है यही कारण है कि प्रकृति के अनुरूप ही कोयतोडियन व्यवस्था वैज्ञानिक व्यवस्था है अंधश्रध्दा एवं पाखंड से वो दूर है और मानव निर्मित व्यवस्था से वो शासित भी नही होते है! कोयावंशियो के रक्त मे यह है कि उनका खून ही अनुमति नही देता कि वो किसी को नुकसान पहुँचाए  बल्कि आवश्यकता के स्तर से ही प्रकृति से अनुमति लेकर ही उसका उपयोग करते है यदि वो एक पेड़ काटेंगे तो वो पेड़ की सुरक्षा व...