* वैज्ञानिक तर्क-वितर्क ही सफल जीवन का मूल आधार हैं ! पढा-लिखा होना और जागृत होना दोनो में अंतर है । किताबों को पढ लेने से, या डिग्रियां हासिल कर लेने से कोई जागृत नहीं कहा जा सकता। हर शिक्षित व्यक्ति जागृत ही हो ऐसा नहीं है। * जागृति का प्रथम सिद्धांत है:- अपने दोस्त की पहचान होना । *जागृति का दूसरा सिद्धांत है:- अपने दुश्मन की पहचान होना । *जागृति का तीसरा सिद्धांत है:- अपनी ताकत और कमजोरी मालूम होना । * जागृति का चौथा सिद्धांत है:- दुश्मन की ताकत और कमजोरी मालूम होना। *जागृति का पांचवां सिद्धांत है:- अपने महापुरुषों का इतिहास मालूम होना । यह पांच बातें अगर आपको मालूम है,और आप अनपढ़ भी हो, फिर भी आप जागृत कहे जा सकते हो । अगर आप को ये पांच बातें नहीं मालूम है, और आप शिक्षित भी हो, फिर भी आप जागृत नहीं हो | ®आप डॉक्टर, वकील इंजिनियर, प्रोफेसर, IPS, lAS, हो सकते हो ।_ मगर आप जागृत नहीं कहे जा सकते । * शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक जागृति बहुत जरूरी है, समाज उत्थान के लिये । * हमारे पढे लिखे अधिकारी, कर्मचारी, PhD holder, उच्च शिक्षा...