पेड लगाओ , जीवन बचाओ
जल,जंगल,जमीन,जन,जानवर,जमीर और ज़बान की लड़ाई लड़ने वाले क़ौम को पिछड़ा, जंगली,विकास-विरोधी,नक्सलवादी कहने वाली वैचारिक बैद्धिकता से अपंग (माफ़ करें मोदी जी ने एक नया नाम दिया है.....दिव्यांग) पूंजीपरस्त,मौकापरस्त मीडिया के द्वारा जोर शोर से विश्व पर्यावरण दिवस मनाना हिंदी साहित्य के सुप्रसिद्ध मुहावरे को जमीन पर जोर से पटक मारता है कि गुड़ तो खाना हैं लेकिन गुलगुले से परहेज़ करना हैं........
ये दौर कार्बन ट्रेडिंग (धनलोलुप पूंजीवादी राष्ट्रों) का दौर हैं बंधुओं/बहनों..........
Comments
Post a Comment