हमारे माँ बाप के प्रति कर्तव्य- राधेश्याम उईके
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हमें अपने माँ बाप को सबसे ज्यादा महत्व देना चाहिए क्योंकि उन्हीं की बदौलत आज हमारा अस्तित्व है।
किसी काल्पनिक देवी देवताओं की बदौलत नही।
दर्द मापन के यूनिट को डेल कहते हैं और एक साधारण व्यक्ति अधिक से अधिक 45 डेल दर्द ही बर्दाश्त कर सकता है इससे अधिक नही।
बच्चे के जन्म के समय एक माँ को लगभग 57 डेल दर्द सहन करना पड़ता है जो शरीर की लगभग 20 हड्डियां एक साथ टूटने के समान होता है।
जन्म के बाद भी माँ का उत्तरदायित्व कम नही होता अपितु और अधिक बढ़ जाता है।
माँ हमारा पोषण करती है और गीले मे से उठाकर सूखे मे सुलाती है।
वो माँ के अतिरिक्त अन्य कोई और नही हो सकता जो हमारी गंदगी साफ कर सके।
माँ के बिना हम अपने अस्तित्व की कल्पना भी नही कर सकते।
इस सब के बावजूद हम काल्पनिक, झूठे, पत्थर व कागज,मिट्टी के देवी देवताओं की पूजा अर्चना करते हैं।
देवता अर्थात भगवान की विशेषता होती है कि वह सदैव हमें देता है लेता कदाचित कुछ नही। इस कसौटी पर भी माँ बाप सौ प्रतिशत खरे उतरते हैं।
माँ बाप साक्षात व सत्य है जो किसी भी भगवान से सर्वोच्च व सर्वाधिक सर्वश्रेष्ठ हैं। वो सदैव हमें देते हैं लेते कदाचित कुछ नही। इसलिए आज और अभी से माँ बाप का का आदर, सम्मान व सेवा कीजिए।
"माँ-बाप के आगे भगवान की क्या बिसात।
माँ-बाप हैं तो भगवान को क्यों पूजना।"
सेवा जोहार.
🙏🙏🙏🙏
R.s uikey
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