आदिवासियों की धधकती आवाज - रावेनशाह उईके

हजारों वर्षों से जंगलों और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले आदिवासियों को हमेशा से दबाया और कुचला जाता रहा है जिससे उनकी जिन्दगी अभावग्रस्त ही रही है। इनका खुले मैदान के निवासियों और तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले लोगों से न के बराबर ही संपर्क रहा है। केंद्र सरकार आदिवासियों के नाम पर हर साल हजारों करोड़ रुपए का प्रावधान बजट में करती है। इसके बाद भी 6-7 दशक में उनकी आर्थिक स्थिति, जीवन स्तर में कोई बदलाव नहीं आया है। स्वास्थ्य सुविधाएं, पीने का साफ पानी आदि मूलभूत सुविधाओं के लिए वे आज भी तरस रहे हैं।

इन सभी बातों को जानने के बावजूद आदिवासियों की समस्या को तय कर पाना कतई आसान नहीं है। हर क्षेत्र की परिस्थितियां अलग-अलग हो सकती है, जैसे कि कई क्षेत्रों के आदिवासी बिना मूलभूत सुविधा के ही संतुष्ट हों तो कहीं इन सब की दरकार भी हो सकती है। कहने का अर्थ यह है कि समस्या अलग-अलग क्षेत्रों में रह रहे आदिवासियों की भिन्न-भिन्न हो सकती है। वैसे सामान्यतः ऐसा होता नहीं है क्योंकि आदिवासी समाज की अपनी एक पहचान है जिसमें उनके रहन-सहन, आचार-विचार एक जैसे ही होते हैं। इधर बाहरी प्रवेश, शिक्षा और संचार माध्यमों के कारण इस ढांचे में भी थोड़ा बदलाव जरूर आया है।

वैसे वर्षों से शोषित रहे इस समाज के लिए परिस्थितियां आज भी कष्टप्रद और समस्यायें बहुत अधिक हैं। ये समस्यायें प्राकृतिक तो होती ही है साथ ही यह मानवजनित भी होती है। विभिन्न आदिवासी क्षेत्रों की समस्या थोड़ी बहुत अलग हो सकती है किन्तु बहुत हद तक यह एक समान ही होती है। आदिवासी क्षेत्रों की प्रमुख समस्यायें निम्न हैं-
1.ऋणग्रस्तता
2.भूमि हस्तांतरण
3.गरीबी
4.बेरोजगारी
5.स्वास्थ्य
6.मदिरापान
7.शिक्षा
8.संचार
अब सब्र नही संघर्ष करना है,
भाग्य भरोसे न जीवन बितने देना है,
महज विडम्बनाएं है परिस्थिति की,
ये आने वाले उतार-चढ़ाव,
निरंतर बढ़ना है मंजिल को,
चाहे पैरों में पड़ जाए घाव,

कभी कोमल, तो कभी पथरीली होगी राहे,
कभी एहसास होगा खुशी का,
तो कभी निकलेंगी दर्द की आहें,
रुकना नही बीच पथ में तुझे,
निरंतर चलना है,
पाने मंजिल को तुझे,
अब सब्र नही संघर्ष करना है,
भाग्य भरोसे न जीवन बितने देना है ।

कभी सिखायेंगी गलतियां हमें,
तो कभी गिरायेंगी परिस्थितियां हमें,
कभी डूबा देगी दरिया में किसी,
तो कभी दिखाएंगी किनारा हमें,

संभाल लेना खुद को हर हालात में,
तुझे संभालने ना आएगा कोई,
महसूस करो जब अकेला खुद को,
आईना बताएगा, साथ है कोई,

इंतज़ार न साथ पाने का करना है,
अपनी लड़ाई अंतिम सांस तक लड़ना है,
अब सब्र नही संघर्ष करना है,
भाग्य भरोसे न जीवन बितने देना है ।
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